Surdas ke guru kaun the 2024 | सूरदास के गुरु का नाम क्या हैं?

Surdas ke Guru kaun the : हम सभी आज यहां भी हैं तो हमारे माता पिता और गुरु की मदद से, गुरु के सही महत्व को समझने के लिए आपने बिल्कुल सही जगह पर आए है. गुरु के बिना हमारा जीवन अधूरा होता है, क्योंकि वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं. इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जानेंगे कि सूरदास, एक महान भक्ति कवि, के जीवन में कौन थे वो गुरु (Surdas ke guru kaun the) जिन्होंने उन्हें उनके उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन किया। कैसे उन गुरुओं ने सूरदास के जीवन को प्रेरित किया और उन्हें एक महान कवि बनाया. इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे। तो आइए, हम इस आर्टिकल को शुरू करते है और जानते है की सूरदास के गुरु का नाम क्या है?

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सूरदास कौन थे? Surdas ke guru kaun the

क्या आप जानते है की "सूरदास जी कौन है?" आपको बता दे, यह बहुत बड़े कवि हैं जिन्होंने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखी हैं. सूरदास जी का जन्म 1478 में मथुरा-आगरा के पास एक गाँव में हुआ था. 

सूरदास जी बचपन से ही अंधे थे, लेकिन बिना देखे कविता लिखने में माहिर थे. क्योंकि सूरदास जी कृष्ण भगवान के बड़े प्रेमी थे इसलिए यहां भगवान की श्रद्धा हो वहा कोई भी काम हो सकता हैं.अपनी अंधेरी दुनिया में उन्होंने कई कविता संग्रह लिखी जिसमे 'सूरसागर', 'सूर सारावली', और 'साहित्य लहरी' कुछ लोकप्रिय कविता शामिल है.

सूरदास जी का जन्म कब हुआ?

सूरदास जी बहुत अच्छे कवि थे और भगवान कृष्ण के बड़े भक्त थे. जैसे की ऊपर बताया की उनका जन्म हरियाणा के गांव में हुआ था. पर कुछ लोग सोचते हैं कि उनका जन्म आगरा या मधुरा में भी हो सकता है. बचपन से ही उन्होंने अपने गुरु से ज्ञान प्राप्त किया.

पर आपके लिए एक सवाल है क्या आप जानते है की सूरदास के गुरु का नाम क्या है? या surdas ke guru kaun the? चलिए देखते है की आप इस सवाल का जवाब बिना देखे दे सकते हैं.

सूरदास जी के पिता और मां का नाम पंडित रामदास और जमुनादास था आपको बात दे की सूरदास की बातें बहुत प्यारी और मिठास से भरी होती थी. जब वह कृष्ण की कहानियाँ गाते तो लोग बहुत खुश हो जाते थे और उनकी भक्ति भरी गाथाएं सभी को पसंद आती थी.

सूरदास जी ने बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रुचि दिखाई. और साथ में उस समय खुद को 'मदन-मोहन' के नाम से भी बुलाते थे. इनका कविताएं लिखने का अंदाज बहुत अच्छा था वह शांत और नदी के किनारे बैठ कर कविताएं लिखते है.  

उनका निधन 1583 में हुआ था लेकिन उनकी कविताएँ आज भी हम सबके दिलों में हैं. सूरदास जी के गुरु भी थे जो उनको हर प्रोब्लम का आंसर देते थे. क्या आप जानते है की surdas ke guru kaun the चलिए नीचे जानते है.

सूरदास के गुरु का नाम क्या है? (Surdas ke guru kaun the)

सूरदास के गुरु का नाम आचार्य वल्लभाचार्य था. और वह अपने छात्र सूरदास से बस दस दिन ही बड़े थे. दोनों भगवान कृष्ण के भक्त थे। सूरदास ने जब आगरा के पास गऊघाट पर रहते समय आचार्य वल्लभ से मिलकर भक्ति के गीत सीखे, तब वो एक खास गीतकार बने.

उनके गीतों का प्रभाव इतना था कि उन्होंने मुग़ल सम्राट अकबर को भी अपने दरबार में बुलवाया। इसके बाद, तुलसीदास ने भी एक बड़ी चमकदार किताब "श्री कृष्णगीतावली" लिखी. जिसमें सूरदास के गीतों का महत्वपूर्ण स्थान था और इससे सूरदास और तुलसीदास की दोस्ती और मजबूत हुई।

 निष्कर्ष : सूरदास के गुरु का नाम क्या है?

इस पोस्ट में हम जान गए कि सूरदास, एक महान भारतीय संत और कवि, Surdas ke guru kaun the? उनके गुरु का नाम श्री वल्लभाचार्य था जिन्होंने सूरदास को धार्मिक और साहित्यिक दिशा में मार्गदर्शन दिया था. इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका हमारे जीवन में होती है और वह हमारे सफलता के मार्गदर्शक होते हैं। इसलिए, हमें अपने गुरु के प्रति आभारी रहना चाहिए। गुरु के साथ हम सही रास्ते पर चल सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल हो तो कॉमेंट करके पूछ सकते है.
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